Friday 9 August 2013

आत्मा की शुद्धि के लिए तपस्या ज़रूरी


भारत कई धर्मों का देश है परन्तु धर्म जो भी हो, उसके पीछे की भावना एक ही होती है – ‘आत्मा की शुद्धि’. प्राचीन काल से यह आस्था रही है कि त्याग, समर्पण और तपस्या के माध्यम से इंसान ईश्वर के करीब पहुँचता है और उसके जीवन के दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं. इस मान्यता को आप हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई हर धर्म में समान रूप से देख सकते हैं.
हिंदुओं में उपवास करना तो मुस्लिमों में रोज़े, इसही तरह आस्था और विश्वास की झलक हर त्यौहार में दिखाई देती है. रमज़ान के इस एक महीने के कड़े तप के दौरान मुस्लिम न सिर्फ अल्लाह की इबादत में डूबे होते हैं बल्कि उनकी शरण में जाने के लिए नियमित रूप से नमाज़ पढ़ते हैं और रोज़ा करते हैं. श्रद्धा के इस रूप को देखकर मन को अलौकिक सुकून की प्राप्ति होती है. ईद इसही तपस्या के पूरे होने पर उत्सव के रूप में मनाई जाती है.

मैं सभी रोजदारों को उनकी तपस्या और आत्मअन्वेषण के सफर के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर बधाई देना चाहती हूँ और सभी देशवासियों को मेरी ओर से ईद मुबारक!

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