धरती पर जब जन्म लिया,
मैंने यह न जाना था,
माँ के बिना कोई जीवन है,
मैंने यह न पहचाना था...
पहला शब्द जब बोला था,
मैंने यह न जाना था,
शब्दों का जाल बुनना,
मेरी किस्मत में लिख जाना था...
पहला कदम जब चली थी,
मैंने यह न जाना था,
जीवन चलते रहना है,
रुकना मौत का ठिकाना था...
स्कूल जब पहले दिन गई,
मैंने यह न जाना था,
ज्ञान पाना मकसद नहीं,
उसे व्यवहार में लाना था...
अव्वल जब पहली बार आई,
मैंने यह न जाना था,
जीत के लिए हराना नहीं,
खुद आगे बढ़ जाना था...
नाची जब खुलकर बारिश में,
मैंने यह न जाना था,
सपनों को दबाना नहीं,
उनको पंख लगाना था...
दोस्त जब पहली बनाई थी,
मैंने यह न जाना था,
सिर्फ खुशियाँ बांटना दोस्ती नहीं,
एक-दुसरे के गम पी जाना था...
अब जब कई साल गुज़र गए,
अब मैंने यह जाना है,
अनुभव ही सिखाता है,
जीवन को ही शिक्षक बन जाना था...
आज शिक्षक दिवस पर,
तुम सबको यही बताना है,
हर जो व्यक्ति सफल है,
उसने स्वयं को ही शिक्षक माना है...